मेला, प्रदर्शनी इत्यादि तथा विशिष्ट व्यक्तियों के कार्यक्रमों
से सम्बन्धित विद्युतीय अधिष्ठापनों का निरीक्षण
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विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 54 के अन्तर्गत
यह आवश्यक है कि निम्नांकित स्थानों पर 250 वाट्स तथा 100 वोल्ट्स से अधिक रेट पर ऊर्जा का परीक्षण या प्रयोग
आरम्भ करने से पूर्व विद्युत
निरीक्षक को और जिला मजिस्ट्रेट को या प्रेसिडेंसी नगर में पुलिस आयुक्त को इस आशय की कम
से कम 07 दिन की लिखित सूचना दी जायेगी ।
(क)
किसी मार्ग में, या
(ख)
किसी ऐसे स्थान में -
(i) जिसमें एक सौ या उससे अधिक व्यक्तियों के सामान्यतया एकत्र होने की सम्भावना है,
या
(ii) जो कारखाना अधिनियम, 1948 के अर्थ में कारखाना या खान अधिनियम, 1952 के अर्थ
में खान है, या
(iii) जिस पर इस उपधारा के उपबन्धों का लागू होना राज्य सरकार साधारण या विशेष
आदेश द्वारा घोषित करती है।
2
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ऐसे थाना जिसमें मेला,
प्रदर्शनी, सभा इत्यादि सम्मिलित है, में विद्युत की आपूर्ति/उपभोग आरम्भ
करने से पूर्व यह
आवश्यक होगा कि कम से कम 07 दिन पूर्व इसकी सूचना विद्युत सुरक्षा विभाग
के सम्बन्धित जोनल कार्यालय को दी जाए।
3
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उपरोक्त सूचना के साथ निरीक्षण शुल्क का भुगतान सरकारी कोषागार में करके चालान की प्राप्तांकित
प्रति तथा विद्युतीय अधिष्ठापन का कार्य करने वाले लाईसेंस प्राप्त ठेकेदार से कार्यपूरक
प्रमाण-पत्र/परीक्षण प्रमाण पत्र संलग्न करना होगा।
4
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ऐसे स्थायी विद्युतीय अधिष्ठापनों के निरीक्षण के लिए देय शुल्क अधिसूचना संख्या
218/नौ-3/उ0/2001 दिनांक
25-09-2001 के मानक्रम ‘‘च‘‘ के अनुसार देय होगी।
5
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निरीक्षण शुल्क का भुगतान उत्तराखण्ड के किसी कोषागार में निम्नलिखित लेखाशीर्ष
क
के अन्तर्गत
किया जायेगा-
"
0043 विद्युत पर कर तथा शुल्क
"
"102 भारतीय विद्युत नियमोें के अन्तर्गत फीस"
अस्थायी विद्युतीय अधि्ाष्ठापन हेतु सुरक्षा सम्बन्धी महत्वपूर्ण बिन्दुः-
1
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सुरक्षा की दृष्टि से टैन्ट/पंडाल किसी भी जीवित बिजली की लाईन के नीचे अथवा ट्रांफारमर के
निकट स्थापित नहीं किये जाएं।
- मध्यम विभव बिजली की आपूर्ति लाईनों के नीचे नियमानुसार ऊर्ध्व क्लीयरेन्स एवं क्षैतिज क्लीयरेन्स
बनाये
रखे जाने आवश्यक हैं ।
- सभी विद्युत वायरिंग पी.वी.सी
.
शीथ्ड कन्डक्टर अथवा कन्ड्यूट में होगी एवं सभी जोड़
पोर्सिलिन/पी.वी.सी.
इन्सूलेटेड कनैक्टर्स से साथ किये जाएंगें। 3 मीटर से कम ऊंचाई पर टैप्ड
ज्वाइंट्स कदापि नहीं होने चाहिए।
- ट्यूबलाईट/सी.एफ.एल.
एवं बिजली
के अन्य
लैम्प को उचित लैम्प होल्डर या फ्रेम के साथ ही
प्रयोग में लाया जाए।
- बिजली वायरिंग का कार्य राज्य सरकार द्वारा लाइसेन्स प्राप्त विद्युत ठेकेदार से, पर्यवेक्षक की
देखरेख में, परमिटधारी व्यक्ति द्वारा ही कराया जाए।
- संरचना में कहीं भी नायलॉन या सिंथेटिक रस्सियों
का इस्तेमाल नहीं किया जाए।
- संरचना या पंडाल की छत की जमीन से ऊंचाई, किसी भी दशा में, 3 मीटर से कम नहीं होनी
चाहिए।
- गलियारा/कॉरिडोर की ऊंचाई 3 मीटर से कम नहीं होनी चाहिए।
- विद्युत परिपथ का कोई भाग, बल्ब, ट्यूबलाईट आदि पंडाल/टैन्ट में किसी भी सजावटी अथवा
अन्य ज्वलनशीन सामग्री के 15 सेमी के भीतर नहीं होना चाहिए।
- पंडाल/टैन्ट/अस्थायी संरचना के भीतर कहीं भी हैलोजन लैम्प का प्रयोग न करें।
- धार्मिक प्रयोजनों के लिए छोटे आकार के एवं नियंत्रित आग को छोड़कर, पंडाल/टैन्ट/अस्थायी
संरचना के भीतर या बिल्कुल
आसपास आग अथवा किसी भी तरह की खुली लौ का प्रयोग न करें।
- रसोई क्षेत्र को टैन्ट/पंडाल से पूरी तरह से अलग किया जाए एवं अधिमानतः जी.आई. शीट्स से
बनाया जाए।
2
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अधिष्ठापन को प्रयोग में लाने से कम से कम एक सप्ताह पूर्व विद्युत सुरक्षा विभाग के सम्बन्धित
उप विद्यु
त निरीक्षक/
सहायक विद्युत निरीक्षक एवं सम्बन्धित जिलाधिकारी को विवरण सहित नोटिस
दें।
3
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बिजली कनेक्शन उत्तराखण्ड पावर कारपोरेशन लि. से प्राप्त करें।
4
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विद्युत अधिष्ठापन का कार्य राजकीय लाईसेंस प्राप्त बिजली ठेकेदार से करवायें।
5
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कार्यपूरक प्रमाण-पत्र
तथा निरीक्षण शुल्क से सम्बन्धित कोषागार चालान विद्युत सुरक्षा विभाग को
उपलब्ध करवा कर निरीक्षण करवायें। अधिष्ठापन को प्रयोग में लाने हेतु लिखित अनुमति प्राप्त कर
लें।